नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (भाषा) भारतीय फिल्म निर्माताओं और वितरकों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी फिल्मों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा का वास्तविक प्रभाव अभी समझना जल्दबाजी होगी।
हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि यदि यह शुल्क अमेरिका में रिलीज होने वाली भारतीय फिल्मों पर लागू होता है, तो टिकट की कीमतें बढ़ सकती हैं।
ट्रंप ने सोमवार को अपनी पूर्व की टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि वह ‘अमेरिका के बाहर बनी सभी फिल्मों पर 100 प्रतिशत शुल्क’ लगाने का इरादा रखते हैं।
प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष शिबाशीष सरकार ने ट्रंप की इस घोषणा पर कहा कि वह ‘प्रतीक्षा करो और देखो’ की नीति अपनाएंगे, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि शुल्क कैसे लागू होगा।
सरकार ने मीडिया से कहा, ‘हमें उनके आधिकारिक परिपत्र का इंतजार करना चाहिए। ऐसा लगता है कि उनका ध्यान उन अमेरिकी फिल्मों पर है जो निर्माण के लिए अमेरिका से बाहर जा रही हैं। जब ये फिल्में अपने देश में आएंगी, तो उन पर शुल्क बढ़ाना चाहते हैं। इसका उद्देश्य स्थानीय रोजगार और निवेश को बढ़ावा देना है। ऐसे में, मुझे गैर-अमेरिकी फिल्मों पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखता।’
उन्होंने आगे कहा कि यदि शुल्क सभी फिल्मों पर लागू होता है, तो भारतीय फिल्मों पर इसका असर पड़ सकता है।
सरकार ने कहा, ‘इस स्थिति में, निर्माता बढ़ी हुई टिकट कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देंगे, जिससे दर्शकों की संख्या में कमी आएगी। भारतीय फिल्मों के लिए यह ज्यादा मायने नहीं रखता, क्योंकि उनका व्यवसाय मुख्य रूप से घरेलू टिकट बिक्री से आता है। अमेरिका में हिंदी फिल्मों का कुल राजस्व केवल 6 से 7 प्रतिशत है।’
उन्होंने यह भी बताया कि तमिल और तेलुगु फिल्मों के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण बाजार है। यदि 100 प्रतिशत शुल्क लागू होता है, तो दक्षिण की फिल्मों के लिए राजस्व में 5 से 6 प्रतिशत और हिंदी फिल्मों के लिए 3 से 4 प्रतिशत का प्रभाव पड़ेगा।
प्रमुख फिल्म वितरक राजेश थडानी ने भी कहा कि ट्रंप के प्रस्तावित शुल्क के बारे में स्पष्टता की कमी है।
उन्होंने कहा, ‘यदि भारतीय फिल्मों पर 100 प्रतिशत शुल्क लागू होता है, तो इसका असर जरूर पड़ेगा। अमेरिका भारतीय फिल्मों, विशेषकर ‘बाहुबली’ और ‘केजीएफ’ जैसी दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। यदि शुल्क वहां दिखाई जा रही भारतीय फिल्मों पर लागू होता है, तो टिकट की कीमतें बढ़ सकती हैं और दर्शकों की संख्या में कमी आ सकती है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि नेटफ्लिक्स और अन्य स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर यह शुल्क लागू होगा या नहीं।’
फिल्म प्रदर्शक अक्षय राठी ने कहा कि उत्तरी अमेरिका भारतीय फिल्मों, विशेषकर तेलुगु फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है।
उन्होंने कहा, ‘फिल्म बिरादरी उत्तरी अमेरिका में अपनी फिल्में रिलीज करना जारी रख सकती है। वहां के सिनेमाघरों के हित में यह है कि वे टिकटों की कीमत समझदारी से तय करें, ताकि पर्याप्त संख्या में लोग सिनेमाघरों में आएं। मुझे यकीन है कि वे कोई न कोई समाधान जरूर निकाल लेंगे।’
राठी ने कहा, ‘हालांकि, नीति का अंतिम खाका सामने आने तक इंतजार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अधिक स्पष्टता आएगी।’
टिप्स फिल्म्स के रमेश तौरानी ने ट्रंप के बयानों में अनिश्चितता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि वह रोज कुछ नया कहते रहते हैं। हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या चीजें सुलझती हैं।’
प्रसिद्ध निर्माता हिमांशु मेहरा ने सवाल उठाया कि प्रस्तावित शुल्क फिल्मों को कैसे प्रभावित करेगा।
उन्होंने कहा, ‘यदि शुल्क का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ता है, तो इसका असर पड़ेगा क्योंकि वे बड़े उपभोक्ता हैं।’
ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर अपने पोस्ट में कहा कि ‘कुछ देशों ने अमेरिका से फिल्म निर्माण कारोबार चुरा लिया है। यह उसी तरह है जैसे किसी बच्चे से कैंडी छीन ली जाती है।’
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